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नई दिल्ली, मदन जैड़ा: देश में खून की कमी (एनीमिया) से ग्रस्त बच्चों की संख्या में भारी इजाफा दर्ज किया गया है। 2015-16 में जहां 6-59 महीने की उम्र के 58.6 फीसदी बच्चे एनीमिक थे, वहीं 2019-21 के दरम्यान यह प्रतिशत बढ़कर 67.1 फीसदी पहुंच गया। यदि बड़े राज्यों की बात करें तो सबसे समृद्ध राज्य गुजरात में एनीमिक बच्चे सबसे ज्यादा करीब 80 फीसदी दर्ज किए गए हैं। सर्वाधिक शिक्षित राज्य केरल में सबसे कम 39 फीसदी बच्चे एनीमिक मिले हैं। 

नेशनल फैमिली हैल्थ सर्वे (एनएचएफएस)-5 के ताजा आंकड़े चौंकाने वाले हैं। स्वास्थ्य के मोर्चे पर देश ने जहां कई क्षेत्रों में प्रगति की है, वही बच्चों में खून की कमी कुपोषण की समस्या बढ़ने का ठोस संकेत है। विशेषज्ञों का कहना है कि मां और शिशु को भरपूर पोषक आहार नहीं मिलना इस समस्या का प्रमुख कारण है। नौ प्रतिशत की बढ़ोत्तरी बताती है कि हालात पहले से बदतर हो रहे हैं।  

एनएचएफएस-5 रिपोर्ट के अनुसार 2019-21 के दौरान शहरों में 64.2 और गांवों में 68.3 फीसदी बच्चे खून की कमी से ग्रस्त थे। यानी उनके रक्त में हिमोग्लोबिन की मात्रा 11 ग्राम/प्रति डेसीलीटर से कम पाई गई। गांव शहर को मिलाकर यह प्रतिशत 67.1 फीसदी बैठता है। इससे पूर्व 2015-16 में एनएचएफएस-4 हुआ था। तब शहरों में 56, गांवों में 59.5 व कुल 58.6 फीसदी बच्चे खून की कमी से ग्रस्त थे। इस प्रकार पांच सालों के भीतर एनीमिक बच्चों का प्रतिशत तकरीबन नौ फीसदी बढ़ा है। 

शनल फैमिली हैल्थ सर्वे उससे पूर्व 2005-06 में हुआ था तब देश में एनीमिक बच्चे 69.4 फीसदी दर्ज किए गए थे। ताजा आंकड़े बताते हैं कि इस मामले में देश फिर से डेढ़ दशक पीछे पहुंच गया है।  

विशेषज्ञों की टिप्पणी 
शहरों में ही नहीं गांवों में भी मोटे अनाज का सेवन घटा है। अनाज के नाम पर सिर्फ गेहूं-चावल पर निर्भरता बढ़ रही है। महंगाई बढ़ने से मध्यम एवं गरीब तबके को फलों, सब्जियों, दाल, तेल, घी आदि की उपलब्धता घटी है। इसके अलावा आयरन एवं फोलिक एसिड को लेकर कोरोना काल में सरकारी कार्यक्रम भी प्रभावित हुआ हैं जिसके चलते बच्चों में एनीमिया बढ़ रहा है। यह अत्यधिक चिंताजनक है। (डा. पूनम मुतरेजा, कार्यकारी निदेशक, पापुलेशन फाउंडेशन आफ इंडिया) 

बच्चों से लेकर वयस्कों में खानपान की शैली बिगड़ी है जिससे कुपोषण बढ़ रहा है। खून की कमी से ग्रस्त बच्चों की संख्या बढ़ना इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है।  (प्रोफेसर जुगल किशोर, वर्धमान महावीर कालेज) 

अध्ययन 
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का संस्थान नेशनल इंस्टीट्यूट आफ न्यूट्रीशियन, हैदराबाद एनीमिया पर अध्ययन कर रहा है। दो विकल्पों पर चर्चा हो रही है। एक एनीमिया के मापदंड को एक अंक कम किया जाए। यानी जहां 11 ग्राम/डेसीलीटर है, वहां 10 कर दिया जाए। इससे आंकड़े घट जाएंगे। लेकिन यह तभी होगा जब विश्व स्वास्थ्य संगठन इसके लिए तैयार होगा। दूसरा, भविष्य में एनीमिया के सर्वे में नसों से रक्त के नमूनों लेकर जांच की जाएगी। अध्ययन कहता है कि अंगुली से रक्त का कतरा लेकर जांच में हिमोग्लोबिन कम आता है। अभी आंकड़े इसी पद्धति से एकत्र किए जा रहे हैं। 

राज्यवार एनीमिया से ग्रस्त बच्चों का प्रतिशत (6-59 माह) -
राज्य              शहर              गांव               कुल 

गुजरात           77.6              81.2              79.7 

बिहार              67.9              67.7              69.4 

झारखंड           65.5              67.9              67.5 

ओडिशा           56.2              65.6              64.2 

मप्र                 72.5              72.7              72.7 

महाराष्ट्र           66.3             70.7              68.9 

हरियाणा           68.1              71.5              70.4 

उप्र                   65.3              66.7              66.4 

उत्तराखंड          63.8              56.6              58.8 

पश्चिम बंगाल     63.3              71.1              69 

दिल्ली                68.7              81.7              69.2 

केरल                  38.9              39.8              39.4