नोएडा यह बजट ईज आफ लिविंग के साथ आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश और एक लाख करोड़ डालर की अर्थव्यवस्था के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विजन के अनुरूप एक व्यापक रोडमैप प्रतीत होता है जिसमें समग्र विकास व जनकल्याण के विविध आयाम समाहित हैं। योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश की सत्ता संभालने के बाद से निरंतर जो कदम उठाए हैं, वे प्रदेश को एक स्किल्ड मैन पावर के रूप में, एक श्रेष्ठ बिजनेस के रूप में, सांस्कृतिक-आध्यात्मिक अर्थव्यवस्था के नवोन्मेषी कदम के रूप में और उद्यम संस्कृति को नया आयाम देने वाले राज्य के रूप में सामने आए हैं।
इस बजट की दूसरी सबसे अधिक अनुकरणीय बात है- राज्य के सभी ग्रीन फील्ड एक्सप्रेसवेज यानी वैसे एक्सप्रेसवे जो बिल्कुल नए बन रहे हैं, उनके किनारे औद्योगिक कारिडोर विकसित करने की दिशा में निर्णायक कदम। देश के किसी भी राज्य में अभी इस प्रकार के कदम नहीं उठाए गए हैं। ये कदम आने वाले समय में प्रदेश की अर्थव्यवस्था में ही नहीं, बल्कि सामाजिक- आर्थिक जीवन में भी व्यापक परिवर्तन लाने वाले साबित होंगेतीसरा अनुकरणीय विषय मेट्रो रेल है। ऐसा कोई राज्य नहीं है जिसने इतने शहरों में मेट्रो के संचालन के लिए निर्णायक कदम उठाए हों। कानपुर मेट्रो, आगरा मेट्रो, ल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कारिडोर तथा वाराणसी, गोरखपुर व अन्य शहरों में मेट्रो रेल परियोजना के लिए किए गए प्रविधान नगरीय जीवन में ‘ईजिंग’ का नया आयाम विकसित करेंगे अथवा ‘ईज आफ अर्बन लिंविंग’ की ओर बढ़ने में सहायक होंगे। चौथा अनुकरणीय पक्ष राजस्व एवं राजकोषीय अनुशासन संबंधी है। राजस्व के मामले में बजट में जिस तरह का विभाजन किया गया है वह प्रगतिशीलता के साथ यथार्थता को दर्शाता है। इन विभाजनों को देखकर अर्थव्यवस्था का कोई भी जानकार इस विश्वास के साथ अध्ययन करेगा कि बजट में केवल आंकड़ों की बाजीगरी नहीं की गई है, बल्कि पूर्व की राजस्व प्राप्तियों में वृद्धि के आधार पर तार्किक सुसंगतीकरण किया गया है
कुल मिलाकर बजट अवस्थापना विकास, जनस्वास्थ्य, जनकल्याण, मानव पूंजी (ह्यूमन कैपिटल), सामाजिक न्याय एवं सुरक्षा, सामाजिक-सांस्कृतिक विकास, कृषि एवं संबद्ध क्रियाकलाप तथा सनातन पूंजी जैसे महत्वपूर्ण विषयों को समायोजित करते हुए बदलते हुए उत्तर प्रदेश की बदली हुई छवि में मूल्यवर्धन करता हुआ दिखाई देता है। यह सब मुख्यमंत्री के कुशल नेतृत्व में बदली हुई कार्य संस्कृति, सर्वश्रेष्ठ प्रबंधन, इनोवेटिव एनीशिएटिव्स, उद्यमशीलता, दुरुस्त कानून एवं व्यवस्था, आर्थिक सुधार, बिजनेस फ्रेंडली परिवेश के निर्माण और ‘मेक इन यूपी’ को मिले प्रोत्साहन के कारण संभव हुआ ।