यरुशलम की एक जिला अदालत ने निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए यहूदियों के अल-अक्सा मस्जिद में पूजा करने के खिलाफ फैसला दिया है। कोर्ट ने अल-अक्सा परिसर में पूजा करने वाले चार युवकों पर लगे 15 दिनों के प्रतिबंध को सही ठहराया है। हालांकि निचली अदालत ने यह प्रतिबंध बटा दिया था। उन लड़कों पर यरुशलम आने पर 15 दिनों का प्रतिबंध लगा दिया गया था।
क्या है मामला
पिछले हफ़्ते चार यहूदी लड़कों को अल-अक़्सा मस्जिद परिसर में प्रार्थना करने के बाद गिरफ़्तार किया गया और उनके पुराने यरुशलम शहर आने पर 15 दिनों का प्रतिबंध लगा दिया गया था. लड़कों ने प्रतिबंध के ख़िलाफ़ मैजिस्ट्रेट कोर्ट में अपील की और कहा कि उन्होंने मीडिया रिपोर्ट्स में पढ़ा है कि पुलिस कमिश्नर ने यरुशलम में तीनों धर्मों को प्रार्थना करने का अधिकार दे दिया है। इसके बाद कोर्ट ने उनप लगे प्रतिबंधों को हटा दिया था।
कोर्ट के इस फैसले पर फलस्तीन, महास और जॉर्डन ने ऐतराज जताया। पुलिसन ने जिला अदालत में अपील की। कोर्ट ने कहा कि अल अक्सा मस्जिद में ही यहूदियों को प्रार्थन का अधिकार देना सबसे जरूरी नहीं है बल्कि कानून व्यवस्था बनाए रखना ज्यादा जरूरी है।
बता दें कि अल-अक्सा मस्जिद पुराने यरुशलम शहर में है और उसे मुसलमानों का पवित्र स्थान माना जाता है। यहीं पर यहूदियों का पवित्र माउंट मंदिर भी है। इजरायल और फिलिस्तीन के बीच विवाद का यह एक बड़ा कारण है। यहां शांति बनाए रखने के लिए यह समझौता किया गया था कि इस परिसर में सिर्फ मुसलमान इबादत करेंगे। इसके अलावा दूसरे धर्म के लोग यहां आ सकते हैं लेकिन प्रार्थना नहीं कर सकते।