पूर्वोत्तर रेलवे ने संरक्षा के दिशा में एक और कदम बढ़ाया है। गोरखपुर से छपरा और सीतापुर से बुढ़वल रूट पर ऑटोमेटिक सिग्नल सिस्टम लगाने के लिए बोर्ड ने मंजूरी दे दी है। मंजूरी मिलने के साथ ही मौजूदा एबसेल्यूट सिग्नल सिस्टम को ऑटोमेटिक सिग्नल सिस्टम से बदलने की कवायद शुरू हो गई है। इससे ट्रेनें एक के पीछे एक चलती रहेंगी। बेवजह यार्ड में खड़ी नहीं होंगी। ट्रेनों की रफ्तार भी बढ़ेगी।
नये सिस्टम से खड़ी ट्रेनों को आगे वाली ट्रेन के अगले स्टेशन तक पहुंचने का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। स्टेशन यार्ड से ट्रेन के आगे बढ़ते ही पीछे वाली ट्रेन को भी ग्रीन सिग्नल मिल जाएगा। यानी, एक ब्लॉक सेक्शन में एक के पीछे दूसरी ट्रेनें चलती रहेंगी। रेलवे बोर्ड गोरखपुर-लखनऊ रूट पर सिस्टम को बदलने की मंजूरी पहले ही दे दी है। अब गोरखपुर से छपरा और सीतापुर-बुढवल को मंजूरी मिली है। बोर्ड ने इन तीनों रूटों के लिए कुल 698 करोड़ का बजट मंजूर किया है। इसके बाद एनई रेलवे ने लखनऊ से छपरा तक ऑटोमेटिक ब्लॉक सिस्टम लागू करने की तैयारी शुरू कर दी है।
हर एक किलोमीटर पर लगाया जाएगा सिग्नल
नई व्यवस्था में स्टेशन यार्ड के डबल डिस्टेंस सिग्नल से आगे प्रत्येक एक किलोमीटर पर सिग्नल लगाया जाएगा। उसके सहारे ट्रेनें एक-दूसरे के पीछे चलती रहेंगी। अगर आगे वाले सिग्नल में तकनीकी खामी आती है तो पीछे चल रही ट्रेनों को भी सूचना मिल जाएगी। जो ट्रेन जहां रहेंगी, वहीं रुक जाएंगी।
बेवजह लेट नहीं होंगी गाड़ियां
इस सिस्टम के लागू होने से ट्रेनें सिग्नल की वजह से अनावश्यक लेट नहीं होंगी। अभी तक जो सिस्टम है, उसमें एक स्टेशन से ट्रेन छूटने के बाद दूसरे स्टेशन पहुंचने के बाद खड़ी ट्रेन को छोड़ा जाता है। मसलन, गोरखपुर से ट्रेन चलने के बाद अगले स्टेशन डोमिनगढ़ पार कर लेने के बाद ही गोरखपुर से दूसरी ट्रेन चलाई जाती है। नई व्यवस्था के बाद ट्रेन के गोरखनाथ पुल पार कर लेने के बाद ही गोरखपुर जंक्शन से दूसरी ट्रेन रवाना कर दी जाएगी।