अलगाववादी नेता यासीन मलिक को टेरर फंडिंग मामले में सजा सुनाने वाले जज को सरकार सुरक्षा दे सकती है। अधिकारियों ने जानकारी दी है कि यह सुरक्षा खतरे के आकलन पर आधारित होगी। खास बात है कि इससे पहले साल 2002 में संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरु को सजा-ए-मौत देने वाले विशेष न्यायाधीश एसएन धींगरा को उच्च सुरक्षा दी गई थी।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सरकार की तरफ से नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) के जज प्रवीण सिंह को कड़ी सुरक्षा दिए जाने की संभावनाएं हैं। पटियाला हाउस कोर्ट ने बुधवार को मलिक को उम्रकैद की सजा का ऐलान किया था। खबर है कि वरिष्ठ जज UAPA के तहत NIA की तरफ से बड़ी संख्या में जांच किए जा रहे मामलों पर भी नजर रखेंगेॉ।
पहले भी जजों पर हो चुके हैं हमले
पहले कश्मी में आतंकवादियों ने सत्र न्यायाधीश नीलकंठ गंजू की गोली मारकर हत्या कर दी थी। गंजू ने जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के नेता मकबूल भट्ट को मौत की सजा दी थी। हालांकि, बाद में गुरु और भट्ट दोनों को फांसी दे दी गई थी। खतरे का आकलन करने के बाद दी जाने वाली सुरक्षा की 6 श्रेणियां (X, Y, Z, Z+, एसपीजी और एनसजी) होती हैं।
खास बात है कि कश्मीर घाटी में अलगाववादी नेताओं के खिलाफ सुनवाई का दौर जारी है। ऐसे में सुरक्षा एजेंसियों की नजरें जेल में बंद मसर्रत आलम पर है। खबर है कि आलम को घाटी में हुर्रियत कॉन्फ्रेंस को दोबारा तैयार करने का जिम्म दिया गया है। जम्मू और कश्मीर में आतंक में आए उछाल की वजह परिसीमन प्रक्रिया समेत कई बातों को माना जा रहा है। हालांकि, एक अधिकारी ने कहा, सुरक्षाबलों ने 'बीते साल 25 मई के 54 की तुलना में इस साल अब तक 80 स्थानिय और विदेशी आतंकवादियों को ढेर किया है।'
तिहाड़ ही रहेगा मलिक का ठिकाना
तिहाड़ जेल के अधिकारियों ने बताया है कि मलिक को कड़ी सुरक्षा के लिए विशेष सेल में रखा जाएगा। जेल अधिकारियों के अनुसार, अलगाववादी नेता को जेल नंबर 7 में रखा जाएगा। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'हो सकता है कि उसे जेल के अंदर कोई काम न दिया जाए और सुरक्षआ की नियमित निगरानी की जाएगी।' अधइकारी ने कहा, 'जेल जाने से पहले उसे जेल नंबर 7 में रखा गया था और उसका वहां रहना जारी रहेगा।'