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बिहार भाजपा द्वारा एक जून को पटना में प्रस्तावित जाति जनगणना पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सर्वदलीय बैठक के लिए अपनी सहमति देने के एक दिन बाद, बीजू जनता दल (बीजद) के राज्यसभा सदस्य अमर पटनायक ने कहा कि उनकी पार्टी भी ओडिशा में जातिगत जनगणना कराने की इच्छुक है, लेकिन वह इसे पूरे देश में केंद्र द्वारा कराए जाने को तरजीह देगी।

पटनायक ने कहा कि चूंकि सुप्रीम कोर्ट के दिसंबर 2020 के आदेश के बाद पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण सुनिश्चित करने के लिए जाति गणना डेटा जरूरी है, इसलिए केंद्र सरकार इसे (जाति गणना) करने के लिए बेहतर स्थिति में होगी। एनसीपी प्रमुख शरद पवार द्वारा जाति आधारित राष्ट्रीय जनगणना कराने की मांग करने के एक दिन बाद बीजद नेता ने नई दिल्ली में कहा, "जाति जनगणना के बिना, आरक्षण संभव नहीं है। ओडिशा सरकार ने पहले जाति जनगणना के लिए केंद्र से संपर्क किया था। हम एक बार फिर अपनी मांग दोहराते हैं।" 

टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए बीजद नेता पटनायक ने कहा, "ओडिशा राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग (OSCBC) ने पिछले साल मई में जाति सर्वेक्षण करने का फैसला किया था। हालांकि, कोविड के कारण इसे स्थगित करना पड़ा। अब तारीखों पर फिर से काम किया जाएगा। जब तक केंद्र ऐसा नहीं करता।"

सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर 2020 में ट्रिपल टेस्ट पर जोर दिया था।

1- राज्य के भीतर स्थानीय निकायों के रूप में पिछड़ेपन की प्रकृति और निहितार्थ की कठोर जांच करने के लिए एक आयोग की स्थापना।

2- आयोग की सिफारिशों के मुताबिक स्थानीय निकाय-वार प्रावधान किए जाने के लिए आवश्यक आरक्षण के अनुपात को निर्दिष्ट करना, ताकि अधिकता का भ्रम न हो।

3- किसी भी मामले में ऐसा आरक्षण अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग के पक्ष में आरक्षित कुल सीटों के कुल 50% से अधिक नहीं होगा।

सूत्रों ने कहा कि ओडिशा जाति आधारित सर्वेक्षण करने की योजना बना रहा है, जो हाल के घटनाक्रम को देखते हुए पिछले साल नहीं किया जा सका। ट्रिपल टेस्ट को पूरा करने के बाद मध्य प्रदेश में स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी कोटा के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 18 मई की मंजूरी दे दी थी। अब ओडिशा को लगता है कि ओएससीबीसी द्वारा एक सर्वेक्षण राज्य को ट्रिपल टेस्ट के अनुरूप सुनिश्चित करने में सक्षम होगा। इससे राज्य पिछड़े वर्गों को आरक्षण देने की स्थिति में आ जाएगा।